Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् पीयूषम् भाग 2

इस पाठ में हम Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् पीयूषम् भाग 2 Question Answer पीयूषम् भाग 2 संस्‍कृत की प्रत्येक पंक्ति का अर्थ उसके वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के साथ पढ़ेंगे।

Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् पीयूषम् भाग 2

इस अध्याय में आपको सभी प्रश्न और उत्तर के साथ-साथ सभी श्लोकों की व्याख्या भी मिल गई है। इन सभी बातों को चरण दर चरण हिंदी में पढ़ें और समझें।

Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् Question Answer उसके वस्‍तुनिष्‍ठ और विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के व्‍याख्‍या

पाठ परिचय- इस पाठ में ईशावास्य, कठ, मुंडक और श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों से क्रमशः पांच मंत्र संकलित हैं। इसे मंगलाचरण के रूप में पढ़ा जाता है। वैदिक साहित्य में शुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थ के रूप में उपनिषदों का महत्व है। इन्हें पढ़ने से सर्वोच्च सत्य (मुख्य शक्ति यानी ईश्वर) के प्रति सम्मानजनक आस्था या विश्वास पैदा होता है, मन सत्य की खोज की ओर झुकता है और आध्यात्मिक अन्वेषण की ओर जिज्ञासा होती है। उपनिषद ग्रंथ विभिन्न वेदों से संबंधित हैं।

उपनिषद का अर्थ- गुरु के पास बैठना

उपनिषदः वैदिकवाङ्मयस्य अन्तिमे भागे दर्शनशास्त्रस्य परमात्मनः महिमा प्रधानतया गीयते। तेन परमात्मना जगत् व्याप्तमनुशासितं चास्ति। स एव सर्वेषां तपसां परमं लक्ष्यम्। अस्मिन् पाठे परमात्मपरा उपनिषदां पद्यात्मकाः पंच मंत्राः संकलिताः सन्ति

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अर्थ– उपनिषद वैदिक साहित्य के अंतिम भाग में दैवीय सिद्धांत प्रकट किये गये हैं। सर्वत्र मुख्यतः परमपिता परमेश्वर की महिमा गाई गयी है। संपूर्ण संसार ईश्वर द्वारा अलौकिक एवं अनुशासित है। सभी की तपस्या का उद्देश्य उसी को प्राप्त करना है। इस पुस्तक में उपनिषद के पांचवें मन्त्र श्लोक में ईश्वर प्राप्ति का वर्णन किया गया है।

हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् ।
तत्वम् पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ।।

अर्थ- हे प्रभु! सत्य का मुख सोने के समान आवरण से ढका हुआ है, सच्चे धर्म की प्राप्ति के लिए उस आवरण को हटा दें।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘ईशावास्य उपनिषद’ से संकलित एवं मंगलम् पथ से उद्धृत है। सत्य के बारे में कहा गया है कि सांसारिक मोह-माया के कारण विद्वान भी उस सत्य को प्राप्त नहीं कर पाते, क्योंकि वह सत्य सांसारिक चकाचौंध में इस तरह ढक जाता है कि मनुष्य जीवन भर व्यर्थ ही भटकता रहता है। इसलिए भगवान से प्रार्थना की गई है कि हे प्रभु! अपने मन से उस भ्रम को दूर करें ताकि आप परमपिता परमेश्वर को प्राप्त कर सकें।

अणोरणीयान् महतो महीयान्
आत्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम् ।
तमक्रतुरू पश्यति वीतशोको
धातुप्रसादान्महिमानमात्मानः ।।

अर्थ- परमाणु से भी सूक्ष्म और महान से भी महान आत्मा मानव हृदय की गुफा में विद्यमान है। विद्वान बिना किसी दुःख के परमेश्वर को देखता है।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘कठ’ उपनिषद से संकलित एवं ‘मंगलम’ पाठ से उद्धृत है। यह आत्मा के स्वभाव और निवास के बारे में बताता है।

विद्वानों का कहना है कि आत्मा मनुष्य के हृदय में सबसे छोटे और सबसे बड़े रूप में विद्यमान है। जब आत्मा सांसारिक मोह-माया को त्याग देती है और हृदय में स्थित आत्मा का साक्षात्कार कर लेती है, तब उसकी आत्मा महान ईश्वर में विलीन हो जाती है और आत्मा सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाती है। इसलिए भक्त प्रार्थना करता है, हे प्रभु! हमें उस अलौकिक (पवित्र) प्रकाश से प्रकाशित करें ताकि हम दुखों से मुक्त हो सकें और खुद को उस महान ईश्वर के साथ जोड़ सकें।

सत्यमेव जयते नानृतं
सत्येन पन्था विततो देवयानः ।
येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा
यत्र तत् सत्यस्य परं निधानम् ।।

अर्थ- सत्य की ही विजय होती है, झूठ की नहीं। सत्य से ही स्वर्ग का मार्ग मिलता है। उस सत्य को प्राप्त कर ऋषिगण दिव्य लोक को प्राप्त होते हैं। जहाँ सत्य का भण्डार है।

संतों का संदेश है कि संसार में सत्य की ही विजय होती है, असत्य या झूठ की नहीं। तात्पर्य यह है कि ईश्वर की प्राप्ति सत्य की आराधना से होती है न कि सांसारिक कामनाओं में डूबे रहने से। संसार माया है और ईश्वर सत्य है। इसलिए जब तक जीव सत्य मार्ग पर नहीं चलता तब तक वह सांसारिक मोह-माया में फंसा रहता है। अत: उस सत्य को प्राप्त करने के लिए जीव को सांसारिक मोह-माया से मुक्त भाव से कार्य करना चाहिए, क्योंकि केवल ईश्वर ही सत्य है, बाकी सब असत्य है।

यथा नद्यः स्यन्दमानाः समुद्रे-
ऽस्तं गच्छन्ति नामरूपे विहाय।
तथा विद्वान नामरूपाद् विमुक्तः
परात्परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।

अर्थ- जैसे बहती हुई नदियाँ अपना नाम-रूप छोड़कर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार विद्वान लोग अपना नाम-रूप छोड़कर भगवान को प्राप्त कर लेते हैं।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘मुण्डक’ उपनिषद से संकलित एवं ‘मंगलम्’ ग्रन्थ से उद्धृत है। इसमें जीवात्मा के सम्बन्ध की चर्चा की गई है।
ऋषि कहते हैं कि जैसे नदियाँ बहती हुई समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार जीवात्मा ज्ञानी ईश्वर के अलौकिक (पवित्र) प्रकाश में विलीन होकर जीवन की योनियों से मुक्त हो जाता है। जीव तब तक माया के जाल में फंसा रहता है जब तक उसे ज्ञान प्राप्त नहीं हो जाता। जैसे ही आत्मा को आत्मज्ञान प्राप्त होता है, आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।

वेदाहमेतं पुरुषं महान्तम्
आदित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वाति मृत्युमेति
नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय।।

अर्थ- मुझे उस महान पुरुष (भगवान) के रूप में जानो, जो अंधकार से भी आगे प्रकाश स्वरूप है। उसे जानने से मृत्यु प्राप्त होती है। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है.’ अर्थात् आत्मज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘श्वेताश्वतर’ उपनिषद से संकलित एवं ‘मंगलम’ पाठ से उद्धृत है। इसमें परमपिता परमेश्वर के बारे में कहा गया है.
संतों का मानना है कि ईश्वर प्रकाश का पुंज है। उनके भव्य दर्शन से पूरा विश्व आलोकित है। ज्ञानी लोग ईश्वर को जानकर सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति पा लेते हैं। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है.’

BSEB ( Bihar Board)Class 10th Sanskrit Objective Answers Chapter 1 मङ्गलम्

प्रश्न 1. उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति ?
(A) महात्मा विदुरः
(B) महर्षिः वेदव्यासः
(C) भर्तृहरिः
(D) चाणक्यः
उत्तर : (B) महर्षिः वेदव्यासः

प्रश्न 2. उपनिषदः कान् प्रकटयन्ति ?
(A) बौद्धसिद्धान्तान्
(B) जैनसिद्धान्तान्
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्
(D) सांख्य सिद्धांतः
उत्तर : (C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्प्र

श्न 3. ‘मङ्गलम्’ पाठस्य रचनाकारः कः अस्ति ?
(A) चाणक्यः
(B) भवभूति
(C) महर्षि वेदव्यासः
(D) महर्षि वाल्मीकिः
उत्तर : (C) महर्षि वेदव्यासः

प्रश्न 4. उपनिषदः कस्य अंतिम भागे अस्ति ?
(A) रामायणस्य
(B) लौकिक साहित्यस्य ।
(C) वैदिक वाङ्मस्य ।
(D) आधुनिक साहित्यस्य
उत्तर : (C) वैदिक वाङ्मस्य ।

प्रश्न 5. उपनिषदे कस्य महिमा प्रधानतया गीयते ?
(A) स्वविषयस्य
(B) परपुरुषस्य
(C) देवपुरुषस्य
(D) परमपुरुषस्य
उत्तर : (C) देवपुरुषस्य

प्रश्न 6.’मंगलम’ पाठ में कितने मंत्र संकलित हैं?
(A) दश
(B) अष्ट
(C) पञ्च
(D) त्रयोदश
उत्तर : (C) पञ्च

प्रश्न 7.ब्रह्मणः मुखं केन आच्छादितमस्ति
(A) पात्रेण
(B) सरोवरे
(C) समुद्रे
(D) तडागे
उत्तर : (A) पात्रेण

प्रश्न 8.महतो महीयात् कः ?
(A) तत्त्वम्
(B) ब्रह्मः
(C) देवः
(D) राक्षसम्
उत्तर : (A) तत्त्वम्

प्रश्न 9. अणोः अणीयान् कः ?
(A) तत्त्वम्
(B) राक्षसम्
(C) देवः
(D) ब्रह्मः
उत्तर : (A) तत्त्वम्

प्रश्न 10. किं जयं न प्राप्नोति ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर : (B) असत्यम्

प्रश्न 11. कः महतो महीयान् अस्ति ?
(A) ब्रह्मः
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार:
उत्तर : (A) ब्रह्मः

प्रश्न 12. किं जयते ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर : (A) सत्यम्

प्रश्न 13. अणोः अणीयान् कः ?
(A) गगनः
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार:
उत्तर : (B) आत्मा

प्रश्न 14. किं जयं प्राप्नोति ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः |
उत्तर : (A) सत्यम्

प्रश्न 15. स्यन्दमाना: नद्यः कुत्र मिलन्ति ?
(A) नद्याम्
(B) सरोवरे
(C) समुद्रे
(D) तडागे
उत्तर : (D) तडागे

प्रश्न 16. जन्तोः गुहायां कः निहितः ? .
(A) तत्त्वम्
(B) शरीरम्
(C) देवः
(D) राक्षसम्
उत्तर : (A) तत्त्वम्

प्रश्न 17. ……………सत्यस्य गुप्तं मुखम्। रिक्तस्थानानि पूरयन्तु।
(A) हिरण्मयेन पात्रेण
(B) पात्रेण
(C) हरण्य
(D) हिरण्यमेण
उत्तर : (A) हिरण्मयेन पात्रेण

प्रश्न 18. ……….नानृतम् । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) असत्यमेव
(B) असत्यमेव जयते
(C) सत्यमेव जयते
(D) जयते
उत्तर : (C) सत्यमेव जयते

प्रश्न 19. यथा………स्यन्दमानाः समुद्रे । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) विहाय
(B) समुद्रे
(C) नद्यः
(D) नद्य
उत्तर : (C) नद्यः

प्रश्न 20. तमेव………..मृत्युमेति । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) विदित्वा
(B) आत्मा
(C) मृत्यु
(D) विदित
उत्तर : (A) विदित्वा

प्रश्न 1. ‘मङ्गलम्’ कहाँ से संकलित है?
(A) वेद से
(B) पुराण से
(C) उपनिषद् से
(D) वेदाङ्ग से
उत्तर : (C) उपनिषद् से

हिन्दी में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति ?
(A) चत्वारः
(B) पञ्च
(C) सप्त
(D) अष्ट
उत्तर : (B) पञ्च

प्रश्न 3. उपनिषद के रचनाकार कौन हैं?
(A) महात्मा विदुर
(B) महर्षि वाल्मीकि
(C) महर्षि वेदव्यास
(D) कालिदास
उत्तर : (C) महर्षि वेदव्यास

प्रश्न 4. मंगलम पाठ के रचनाकार कौन हैं?
(A) महात्मा विदुर
(B) महर्षि वाल्मीकि
(C) महर्षि वेदव्यास
(D) कालिदास
उत्तर : (C) महर्षि वेदव्यास

प्रश्न 5. अणु से छोटा कौन है?
(A) आकाश
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार
उत्तर : (B) आत्मा

प्रश्न 6. किसकी जय होती है?
(A) सत्य
(B) असत्य
(C) क्रोध
(D) मोह
उत्तर : (A) सत्य

प्रश्न 6 उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति ?

(A) सरोवर
(B) नदी
(C) समद्र
(D) तालाब
उत्तर : (C) समद्र

प्रश्न 8. एक जानवर के दिल की तरह एक गुफा में क्या छिपा है?
(A) तत्व
(B) शरीर
(C) देवता
(D) राक्षस
उत्तर : (A) तत्व

प्रश्न 9. ब्रह्मप्राप्तिविषये अस्ति
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर : (D) मुण्डकोपनिषद्

प्रश्न 10. स्वर्ग कौन ले जाता है ?
(A) सत्य
(B) असत्य
(C) क्रोध
(D) मोह
उत्तर : (A) सत्य

प्रश्न 11. सत्य से क्या प्राप्त होता है?
(A) पृथ्वी लोक
(B) नरकलोक
(C) देवलोक
(D) कोई नहीं
उत्तर : (C) देवलोक

प्रश्न 12. मृत्यु को कौन नियंत्रित कर सकता है?
(A) मूर्ख
(B) अज्ञानी
(C) विद्वान
(D) कोई नहीं
उत्तर : (C) विद्वान

प्रश्न 13. उपनिषद् एक कैसा ग्रंथ है?
(A) आध्यात्मिक
(B) आदर्शरूपी
(C) आत्मकथा
(D) साधारण
उत्तर : (A) आध्यात्मिक

प्रश्न 14. उपनिषदों में किस महिमा का वर्णन है?
(A) स्वविषय
(B) परपुरुष
(C) देवपुरुष
(D) परमपुरुष
उत्तर :
(D) परमपुरुष

प्रश्न 15. उपनिषदों की संख्या कितनी है? ।
(A) 109
(B) 108
(C) 105
(D) 111
उत्तर : (B) 108

प्रश्न 16. आत्मा का गूढ़ रहस्य किसमें बताया गया है?
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर : (A) कठोपनिषद

प्रश्न 17. ईश्वर की महिमा का वर्णन किसमें है?
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर : (B) ईशावास्योपनिष

प्रश्न 18. ज्ञानी लोक और अज्ञानी के बीच अंतर क्या बताता है?
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
प्रश्न 19. (C) श्वेताश्वतर

प्रश्न 19. कौन सा बर्तन सत्य का चेहरा ढक देता है?
(A) हिरण्मय पात्र से
(B) मृण्मय पात्र से
(C) रजतमय पात्र से
(D) ताम्रपात्र से
उत्तर : (A) हिरण्मय पात्र से

प्रश्न 20. सत्य का खजाना कहाँ है? ।
(A) पृथ्वी लोक
(B) नरकलोक
(C) देवलोक
(D) कोई नहीं
उत्तर : (C) देवलोक

संस्कृत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. जन्तोः गुहायां कः निहितः?
(A) तत्वम्
(B) शरीरम्
(C) देवः
(D) दानवम्
उत्तर : (A) तत्वम्

प्रश्न 2. अणोः अणीयान् कः?
(A) ज्ञानः
(B) आत्मा
(C) संसारः
(D) गगनः
उत्तर : (B) आत्मा

प्रश्न 3. हिरण्मयेन पात्रेण किम् अपिहितम्?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) सत्यस्यमुखम्
(D) असत्यस्य मुखम्
उत्तर : (C) सत्यस्यमुखम्

प्रश्न 4. सत्यस्य मुखम् केन अपिहितम?
(A) हिरण्मयेन
(B) पात्रेण
(C) छत्रेण
(D) हिरण्मयेन पात्रेण
उत्तर : (D) हिरण्मयेन पात्रेण

प्रश्न 5. अणोरणीयान् महतोमहीयान् कः?
(A) गगनः
(B) संसारः
(C) आत्मा
(D) जनः
उत्तर : (C) आत्मा

प्रश्न 6. ‘मङ्गलम्’ पाठे कति उपनिषदस्य श्लोकान् सन्ति?
(A) पञ्च
(B) चतुर
(C) सप्त
(D) षट
उत्तर : (A) पञ्च

प्रश्न 7. परात्परं पुरुष कः उपैति?
(A) विद्वान्
(B) महान्
(C) दयावान्
(D) प्राणवान्
उत्तर : (A) विद्वान्

प्रश्न 8. सत्यधर्मप्राप्त्यर्थं किं गोपयसि ?
(A) मुखम्
(B) असत्यम्
(C) सत्यम्
(D) हिरण्मयपात्तम्
उत्तर : (D) हिरण्मयपात्तम्

प्रश्न 9. देव्यस्य मार्गं केन प्रसारितम् ?
(A) सत्येन
(B) असत्येन
(C) हिरण्मयेन पात्रेण
(D) आलस्येन
उत्तर : (A) सत्येन

प्रश्न 10. ……. महतो महिया। रिक्त स्थानम् पूरयतः।
(A) तमक्रतुः
(B) वीतशोको
(C) अणोरणीयान्
(D) पूषन्
उत्तर : (C) अणोरणीयान्

अर्थ- मुझे उस महान पुरुष (भगवान) के रूप में जानो, जो अंधकार से परे प्रकाश का अवतार है। यह जानने से मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।’ अर्थात् आत्मज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘श्वेताश्वतर’ उपनिषद से संकलित एवं ‘मंगलम’ पाठ से उद्धृत है। इसमें परमपिता परमेश्वर के बारे में कहा गया है.
संतों का मानना है कि ईश्वर प्रकाश का पुंज है। उनके भव्य दर्शन से पूरा विश्व आलोकित है। ज्ञानी लोग ईश्वर को जानकर सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति पा लेते हैं। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।’

प्रश्न 11. उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति?
(A) महात्मा विदुरः
(B) महर्षिः वेदव्यासः
(C) भर्तृहरिः
(D) चाणक्यः
उत्तर : (B) महर्षिः वेदव्यासः

प्रश्न 12. उपनिषदः कान् प्रकटयन्ति? ।
(A) बौद्धसिद्धान्तान्
(B) जैनसिद्धान्तान्
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्
(D) सांख्य सिद्धांतः
उत्तर : (C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्

प्रश्न 13. ‘मङ्गलम्’ पाठस्य रचनाकारः कः अस्ति?
(A) चाणक्यः
(B) भवभूति
(C) महर्षि वेदव्यासः
(D) महर्षि वाल्मीकिः
उत्तर : (C) महर्षि वेदव्यासः

अर्थ- मुझे उस महान पुरुष (भगवान) के रूप में जानो, जो अंधकार से परे प्रकाश का अवतार है। यह जानने से मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।’ अर्थात् आत्मज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘श्वेताश्वतर’ उपनिषद से संकलित एवं ‘मंगलम’ पाठ से उद्धृत है। इसमें परमपिता परमेश्वर के बारे में कहा गया है.
संतों का मानना है कि ईश्वर प्रकाश का पुंज है। उनके भव्य दर्शन से पूरा विश्व आलोकित है। ज्ञानी लोग ईश्वर को जानकर सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति पा लेते हैं। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।’

(C) महर्षि वेदव्यासः

प्रश्न 14. किं जयं प्राप्नोति?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर : (A) सत्यम्

प्रश्न 15. ‘मङ्गलम्’ पाठे कति मन्त्राः संकलिताः सन्ति?
(A) दश
(B) अष्ट
(C) पञ्च
(D) त्रयोदश
उत्तर : (C) पञ्च

प्रश्न 16. उपनिषदे कस्य महिमा प्रधानतया गीयते?
(A) स्वविषयस्य
(B) परपुरुषस्य
(C) देवपुरुषस्य
(D) परमपुरुषस्य
उत्तर : (D) परमपुरुषस्य

बिहार बोर्ड Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् Question Answer उसके विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के व्‍याख्‍या

बिहार बोर्ड Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् Question Answer उसके विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के व्‍याख्‍या

  1. उपनिषदों का स्वरूप क्या है? आपके द्वारा पढ़े गए पाठ के आधार पर व्याख्या करें।

उत्तर – उपनिषद वैदिक साहित्य का अभिन्न अंग हैं। यह दार्शनिक सिद्धांतों का प्रस्ताव करता है। हर जगह भगवान की महिमा होती है. यह संसार केवल ईश्वर द्वारा ही व्याप्त और शासित है। सत्य की पराकाष्ठा ईश्वर का अवतार है। ईश्वर सभी तपस्याओं का अंतिम लक्ष्य है।

2. आत्मा स्वरूप क्या है? पढ़े गए पाठ के आधार पर व्याख्या करें

उत्तर – कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा अनोखा विश्लेषण किया गया है। आत्मा मानव हृदय की गुफा में स्थित है। यह एक अणु से भी छोटा है. यह महानतम से भी महान है. जो इसके रहस्य को समझता है वह सत्य की खोज करता है। वह दुःख रहित है।

  1. मङ्गलम् पाठ का परिचय पाँच वाक्यों में दें।

उत्तर – इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होतो है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।

4.महापुरुष संसाररूपी सागर से कैसे पार होते हैं?

उत्तर – श्वेताश्वर उपनिषद में महर्षि वेद व्यास ज्ञानी और अज्ञानी के बीच अंतर बताते हुए कहते हैं कि अज्ञानी अंधकार का रूप है और ज्ञानी प्रकाश का रूप है। महान लोग इस बात को समझ लेते हैं और मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि यह संसार सागर है।
इस पर काबू पाने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है।’

  1. ज्ञानी को ब्रह्म की प्राप्ति कैसे होती है?

उत्तर – महर्षि वेद-व्यास मुंडकोपनिषद में कहते हैं कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपना नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व छोड़कर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार महापुरुष भी अपना नाम और रूप अर्थात् अहहप छोड़कर ब्रह्म को प्राप्त हो जाते हैं।

  1. मंगलम् पाठ के आधार पर आधार पर सत्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – सत्य का महत्व समझाते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि सत्य की हमेशा जीत होती है। झूठ कभी नहीं जीतता. सत्य से ही स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है। मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि सत्य की प्राप्ति के लिए ही स्वर्ग जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग सत्य का खजाना है।

  1. मंगल पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ स्पष्ट करें।

उत्तर – मंगलम पौ में संकलित कठोपनिषद से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदय की गुफा में कैद है। यह सबसे छोटा और सबसे बड़ा है। इस भावना को नियंत्रित नहीं किया जा सकता. विद्वान लोग दुःखों से मुक्त होकर ईश्वर अर्थात् ईश्वर का दर्शन करते हैं।

  1. उपनिषदों को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा जाता है?

उत्तर –  उपनिषद आध्यात्मिक ग्रंथ हैं क्योंकि वे आत्मा और ईश्वर के बीच संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या देते हैं। भगवान सारे विश्व में शान्ति स्थापन करते हैं। सभी तपस्वियों का अंतिम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है।

Bihar Board Class 10 Sanskrit Notes solution in Hindi पीयूषम् भाग 2 संस्‍कृत

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About the author

My name is Najir Hussain, I am from West Champaran, a state of India and a district of Bihar, I am a digital marketer and coaching teacher. I have also done B.Com. I have been working in the field of digital marketing and Teaching since 2022

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