कपड़े / रेशे तरह-तरह के – bihar board class 8 science solutions Chapter 4 के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी हासिल करेंगे और BSEB Class 8 Science Chapter 4 से संबंधित जितना भी प्रश्न व आंसर बनेंगे सभी का सॉल्यूशन दिया जाएगा |
अगर आप आठवीं का छात्र हैं तो इस नोटिस को पढ़कर अपना Score बढ़ा सकते हैं नीचे दिए गए सभी प्रश्न उत्तर पाठ्यक्रम का अनुसार है
bihar board class 8 science solutions Chapter 4 – कपड़े / रेशे तरह-तरह के
-:- अभ्यास -:-
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- संश्लेषित रेशे …कृत्रिम. अथवा …मानव निर्मित. रेशे भी कहलाते हैं।
- सूती वस्त्र जलने पर …कागज. के जलने जैसी गंध आती है जबकि नाइलॉन से उबलती हुई …फली.. के समान गंध निकलती है।
- सूती और नाइलॉन के वस्त्र को फाड़ने पर …सूती वस्त्र आसानी से फटते हैं।
- …रेयॉन.. रेशा सेलुलोज के रासायनिक क्रियाओं द्वारा प्राप्त किए जाते हैं।
प्रश्न 2. मिलान कीजिए :
कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) रेशम (क) संश्लेषित रेशा
(ii) पैराशूट (ख) रेयॉन
(iii) कृत्रिम रेशम (ग) प्राकृतिक रेशा]
(iv) टेरिलीन (घ) पैनाइलॉन
उत्तर : कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) रेशम (ग) प्राकृतिक रेशा
(ii) पैराशूट (घ) पैनाइलॉन
(iii) कृत्रिम रेशम (ख) रेयॉन
(iv) टेरिलीन (क) संश्लेषित रेशा
प्रश्न 3.कुछ रेशे संश्लेषित क्यों कहलाते हैं ?
उत्तर- कपड़ा मानव सभ्यता के विकास की देन है। कपडा मानव सभ्यता और संस्कृति के सूचक है। प्राचीन काल से ही मानव तन ढंकने का प्रयल करता रहा है। इस काम के लिए उसने आदिम युग में घास-फूस, पेड़-पौधे, पत्ते-छाल तथा मृत पशुओं की खाल आदि का प्रयोग किया। परंतु जिज्ञासु मानव इतने से कब संतुष्ट होने वाला था। मानव की जिज्ञासा तथा तीव्र बुद्धि ने वस्त्रों की उत्पत्ति के साधन एवं वस्त्रों के निर्माण कला को यहाँ तक पहुंचा दिया।
पौधों तथा जन्तुओं से प्राप्त होने वाले रेशों से बने कपड़े के गुण जैसे जल्दी गंदा होना, धोने से सिलवट पड़ने, रख-रखाव में परेशानी तथा इसकी सीमित उत्पादन ने तथा विज्ञान के विकास ने एक नए रेशे के आविष्कार में मुख्य भूमिका अदा किए। आज रासायनिक संश्लेषण प्रक्रिया के द्वारा रेशों का निर्माण होने लगा है। इस प्रकार के रेशा को संश्लेषित रेशा कहते हैं। जैसे-नायलॉन, रेयॉन, टेरिलीन, टेरीकॉट इत्यादि ।
इस प्रकार रेशों को दो तरह से प्राप्त किया जाता है। एक पेड-पौधों तथा जानवरों से तो दूसरा मानव निर्मित यानी संश्लेषित रेशा, यही कारण है कि कुछ रेशों को संश्लेषित रेशा कहा जाता है।
प्रश्न 4. नाइलॉन रेशों से निर्मित दो वस्तुओं के नाम बताइए जो नाइलॉन रेशे की प्रबलता दर्शाती है।
उत्तर- ऐसे तो नाइलॉन से बहुत सारी वस्तुएँ बनती हैं। परन्तु इसकी प्रबलता को दर्शाने वाले दो प्रमुख वस्तुएँ – पैराशुट, चट्टानों या पहाड़ों पर चढ़ने हेतु रस्से।
प्रश्न 5. रसोई घर में संश्लेषित वस्त्र पहनने की सलाह नहीं दी जाती है। क्यों ?
उत्तर- संश्लेषित वस्त्र काफी हल्के होते हैं जिसके कारण थोड़ी-सी शारीरिक हलचल या हवा से इधर से उधर हो जाते हैं। जिसके कारण आग के. चपेट में आ जाते हैं। इतना ही नहीं, यह आग को भी बहुत जल्दी पकड़ लेता है और साथ ही इसमें आग बहुत जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जाता है। परिणामस्वरूप किसी दुर्घटना होने की संभावना प्रबल होती है इसलिए रसोईघर में संश्लेषित वस्त्र पहनने की सलाह नहीं दी जाती है।
प्रश्न 6. रेयॉन को “नकली रेशम” क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- सबसे पहले प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए कृत्रिम रूप से रेशा का निर्माण किया गया। रेयॉन उन्हीं में से एक है।
रेयॉन, लकड़ी के लुग्दी द्वारा कृत्रिम रेशा प्राप्त किया गया । जिसका गुण रेशम के समान होता है। यही कारण है कि रेयॉन को कृत्रिम या नकली रेशम कहा जाता है।
प्रश्न 7. संश्लेषित वस्त्र गर्मी के मौसम में आरामदेह नहीं होते हैं क्यों ?
उत्तर- संश्लेषित वस्त्र में जलग्रहण करने की क्षमता बहुत कम होती है तथा ऊष्मा का सुचालक होता है यानि धूप या प्रकाश को ग्रहण कर काफी गर्मी महसूस होता है। साथ ही पसीना को भी नहीं सोंख पाता है। इन्हीं कारणों से ये गर्मी में आरामदायक नहीं होते हैं।
प्रश्न 8. एक्रिलिक के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर- एक्रिलिक के दो उपयोग
- स्वेटर बनाने में।
- कम्बल बनाने में।
प्रश्न 9. रेशा का नाम बताइए जो-
- जलने पर जलते हुए कागज का गंध देता हो।
- जलने पर जलते हुए बाल का गंध देता हो।
- जलने पर उबलती हई फली का गंध देता हो।
उत्तर-
- वह रेशा जो जलने पर जलते हुए कागज का गंध देता हो वह सूती कहलाता है।
- वह रेशा जो जलने पर जलते हुए बाल का गंध देता है वह रेशम कहलाता है।
- वह रेशा जो जलने पर उबलती हुई फली का गंध देता हो वह नाइलॉन कहलाता है।
प्रश्न 10. संश्लेषित रेशों का औद्योगिक निर्माण वास्तव में वनों के संरक्षण में सहायक रहा है। टिप्पणी दीजिए।
उत्तर- प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक रेशों के निर्माण में पेड़ों का भरपूर उपयोग हुआ। आधुनिक काल में रेयॉन बनाने में लकड़ी का लुगदी का प्रयोग किया जाता रहा परन्तु रेयॉन के बाद नायलॉन, पॉलिस्टर टेरीकॉट एक्रिलिक में लकड़ी का उपयोग नहीं हुआ और आज सम्पूर्ण आवश्यकता की पूर्ति सिर्फ वस्त्र के रूप में ही नहीं बल्कि जरूरत की अन्य सामग्री जैसे कुर्सी, टेबुल आदि भी कृत्रिम रेशों से बनाए जाने लगे । इस प्रकार संश्लेषित रेशों का औद्योगिक निर्माण वनों के संरक्षण में सहायक रहा।
कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर प्रश्न
प्रश्न 1. खाद्य पदार्थों का संचयन करते हेतु प्लास्टिक पात्रों के उपयोग के तीन प्रमुख लाभ बताइए।
उत्तर– खाद्य पदार्थों का संचयन हेतु प्लास्टिक पदार्थों के उपयोग के तीन प्रमुख लाभ हैं : (i) कम भार और सस्ता होना, (ii)अच्छी सामर्थ्य और (iii) उपयोग में आसानी ।
प्रश्न 2. थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग प्लास्टिक के मध्य अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जो प्लास्टिक गर्म करने पर आसानी से विकृत हो जाता है और सरलतापूर्वक मुड़ जाता है, थर्मोप्लास्टिक कहलाता है। जैसे—पॉलीथीन, पीवीसी (PVC) आदि । इनका उपयोग खिलौने, कंघियाँ आदि के निर्माण में किया जाता है।
जो प्लास्टिक एक बार साँचे में ढाल दिए जाने पर इन्हें ऊष्मा देकर नर्म नहीं किया जा सकता, थर्मासाट” . प्लास्टिक कहलाते हैं । जैसे—बेकेलाइट, मोलामाग्न आदि । बेकेलाइट ऊष्मा तथा विद्यु का कुचालक है। इनका उपयोग बिजली के स्विच. बर्तनों के हत्थे. फर्श की टाइल बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 3. समझाइए कि थर्मोसेटिंग प्लास्टिक से निम्नलिखित क्यों बनाये जाते हैं :
(क) डेगची के हत्थे, (ख) विद्युत प्लग/स्विच/प्लग-बोर्ड ?
उत्तर– (क) थर्मोसेटिंग प्लास्टिक ऊष्मा का कुचालक होता है, इसीलिए इससे डेगची के हत्थे बनाए जाते है।
(ख) थर्मोसेटिंग प्लास्टिक विद्युत के कुचालक होते हैं, इसीलिए इनसे विद्युत प्लग/ स्विच/प्लग-बोर्ड आदि बनाये जाते हैं।
प्रश्न 4. “जहाँ तक सम्भव हो, प्लास्टिक के उपयोग से बचिए” । इस कथन पर सलाह दीजिए।
उत्तर- यद्यपि प्लास्टिक हल्का, प्रबल, टिकाऊ तथा ऊष्मा और विद्युत का कुचालक होता है और बाजारों में कम लागत में आसानी से उपलब्ध है। इसलिए हमारे दैनिक जीवन में उपयोग में आनेवाले सभी कार्यों पर इसका प्रभुत्व-सा हो गया है। परन्तु चूँकि प्लास्टिक एक जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ होता है अर्थात् इसे प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा सरलता से विघटित नहीं किया जा सकता।
अतः इनके विघटन में भी वर्षों लग जाते हैं तथा जलाने पर विषैली गैसें निकलती हैं, इससे वातावरण प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है। सड़कों, गलियों, नालों में यूँ ही फेंके जानेवाले प्लास्टिक के थैलों से बरसात में नाले जाम हो जाते हैं और हमें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अतः जहाँ तक संभव हो प्लास्टिक के उपयोग से हमें बचना चाहिए ।
प्रश्न 5. ऐडिलिक क्या है?
उत्तर– सर्दियों में उपयोग में लाये जानेवाले स्वेटर, शाल अथवा कम्बल आदि संश्लेषित रेशे से तैयार किए जाते हैं जो ऐडिलिक कहलाते हैं।
प्रश्न 6. प्राकृतिक और कृत्रिम रेशों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– प्राकृतिक और कृत्रिम रेशों में निम्नलिखित अंतर हैं :
क्र. सं | नाम रेशे का | रेशे का प्रकार (प्राकृतिक/कृत्रिम) कपास |
---|---|---|
1. | कपास | प्राकृतिक |
2. | ऊन | प्राकृतिक |
3. | रेशम | प्राकृतिक |
4. | नाइलॉन | कृत्रिम |
5. | रेयॉन | कृत्रिम |
6. | प्लास्टिक | कृत्रिम |