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ये नोट्स पूरी तरह से NCERTऔर SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। इसमें विज्ञान के प्रत्येक पाठ को समझाया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 9 विज्ञान के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं।
परमाणु एवं अणु – class 9 science chapter 3 notes in hindi
तत्व(Element): किसी पदार्थ का वह मुल पदार्थ जिसे सरलीकृत नहीं किया जा सके तत्व कहलाता है | जैसे- हाइड्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन, आयरन, चाँदी और सोना आदि |
रासायनिक संयोजन के नियम :- किन्हीं दो या उससे अधिक पदार्थों के बीच रासायनिक अभिक्रिया कुछ सिद्धान्तों पर आधारित होती है । इन सिद्धान्तों को रासायनिक संयोजन के नियम कहते हैं ।
रासायनिक संयोजन के नियम :-
- द्रव्यमान संरक्षण का नियम
- स्थिर अनुपात का नियम
द्रव्यमान संरक्षण का नियम :- इस नियम के अनुसार , ” द्रव्यमान का उदय या विनाश संभव नहीं है । किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के दौरान पदार्थों के द्रव्यमान का जोड़ उस अभिक्रिया के उत्पादों के द्रव्यमानों के जोड़े के बराबर होगा ।
स्थिर अनुपात का नियम :- इस नियमानुसार कोई शुद्ध रासायनिक यौगिक सदैव उन्हीं तत्वों से निर्मित होगा जिनसे वह मिलकर निर्मित हुआ है , तथा इन तत्वों के द्रव्यमान का अनुपात सदैव समान होगा , फिर चाहे यह यौगिक किसी भी स्थान से प्राप्त किया गया हो अथवा निर्माण किसी भी पद्धति द्वारा किया गया हो ।
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त :- रासायनिक संयोजन के नियम पर आधारित डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त , ‘ द्रव्यमान संरक्षण का नियम ‘ तथा ‘ स्थिर अनुपात के नियम ‘ को सिद्ध करता है ।
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के महत्वपूर्ण अंश :-सभी द्रव्य परमाणुओं से निर्मित होते हैं ।
- परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो उत्पन्न होते हैं न ही उनका इसमें विनाश होता है । ( यह अंश द्रव्यमान संरक्षण के नियम को सिद्ध करता है )
- दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं ।
- भिन्न – भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न – भिन्न होते हैं ।
- भिन्न – भिन्न तत्वों परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक का निर्माण करते हैं । ( यह अंश स्थिर अनुपात के नियम को सिद्ध करता है ) किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एक प्रकार से निश्चित होती हैं ।
परमाणु :- आधुनिक परमाणु सिद्धान्त के अनुसार परमाणु किसी भी तत्व का वह सूक्ष्मतम भाग है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में बिना अपने रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों को बदले , उस अभिक्रिया में प्रयुक्त होता है । परमाणु तत्व के सूक्ष्मतम भाग है जिन्हें किसी भी शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से भी देखा नहीं जा सकता ।
परमाणु त्रिज्या का मापन :- परमाणु त्रिज्या नैनोमीटर में मापी जाती है।
- 10-⁹ m = 1nm
- 1m = 10⁹ nm
परमाणु द्रव्यमान :- किसी भी तत्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उसका परमाणु द्रव्यमान कहलाता है ।
वर्ष 1961 में IUPAC ने ” परमाणु द्रव्यमान की इकाई ” या ” u ” को परमाणुओं के द्रव्यमान का मापक माना ।
परमाणु द्रव्यमान की इकाई :- एक परमाणु द्रव्यमान की इकाई का द्रव्यमान एक C¹² समस्थानिक के 1 / 12 वें हिस्से के द्रव्यमान के बराबर होता है ।
परमाणु किस प्रकार अस्तित्व में रहते हैं :- ज्यादातर तत्वों के परमाणु अत्यधिक अभिक्रियाशील होने के कारण कभी भी मुक्तावस्था में नहीं पाए जाते । केवल निष्क्रिय गैसों के परमाणु ही मुक्तावस्था में पाए जाते हैं ।
अणु (Molecules): एक ही तत्व या भिन्न-भिन्न के दो या दो से अधिक परमाणुओं के समूह जो रासायनिक से एक दुसरे से बंधे होते है अणु कहलाते हैं | उदाहरण: O2, H2, N2, H2O, CO2, MgCl2 इत्यादि |
- अणु , ( तत्वों को छोड़ ) किसी भी पदार्थ की वह सूक्ष्मतम इकाई है । जो स्वतंत्र रूप से रह सकता है और यह उस पदार्थ के सारे गुणधर्मों को प्रदर्शित कर सकता है जैसे की , H₂0 अणु जल के सम्पूर्ण गुणधर्मों को प्रदर्शित करता है ।
- किसी भी अणु का निर्माण एक ही तरह के परमाणु या भिन्न – भिन्न प्रकार के परमाणुओं के बीच रासायनिक बंध होने के कारण हो सकता है ।
परमाणुकता :- किसी एक अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या को परमाणुकता कहते हैं ।
रासायनिक सूत्र :- किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके संघटक का प्रतीकात्मक निरूपण होता है ।
रासायनिक सूत्र की विशेषताएँ :- रासायनिक सूत्र के संघटकों की संयोजकताएँ या आवेश बराबर होने चाहिए ।
- धातु एवं अधातु के यौगिक की रासायनिक सूत्र की संरचना में धातु को पहले लिखा जाता है में तथा अधातु को उसके बाद ।
- बहुपरमाणविक आयन के रासायनिक सूत्र में आने की स्थिति में , इस आयन को ब्रेकिट में रखा जाता है । फिर संयोजक अथवा आवेश को ब्रेकिट के नीचे लगाते हैं ।
रासायनिक सूत्र लिखने के नियम :- सबसे पहले तत्वों के परमाणुओं के चिह्नों को लिखा जाता है ।
- अब इन चिह्नों के नीचे इनकी संयोजकताओं को लिखा जाता है ।
- अब संयोजित परमाणुओं की संयोजकताओं को क्रास करते हैं ।
- परिणामस्वरूप पहला परमाणु दूसरे परमाणु की संयोजकता ग्रहण करता है तथा दूसरा परमाणु पहले वाले परमाणु की संयोजकता को ग्रहण करता है ।
- संयोजकताओं को क्रास करके रासायनिक सूत्र तैयार हो जाता है ।
- आणविक द्रव्यमान :- किसी भी एक अणु में उपस्थित परमाणुओं के द्रव्यमानों के जोड़ को आणविक द्रव्यमान कहा जाता है । परमाणु द्रव्यमान की भाँति इसका मात्रक भी परमाणु की द्रव्यमान इकाई ही होता है ।
- सूत्र इकाई द्रव्यमान :- किसी पदार्थ का सूत्र इकाई द्रव्यमान उसके सभी संघटक परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है ।
- सूत्र द्रव्यमान एवं आणविक द्रव्यमान में अंतर :- सूत्र द्रव्यमान एवं आणविक द्रव्यमान में केवल अंतर यही है कि यहाँ पर हम उस पदार्थ के सूत्र इकाई द्रव्यमान का उपयोग करते हैं , जिसके संघटक आयन होते हैं ।
यौगिक (Compound): अणु जो एक से अधिक तत्वों से मिलकर बना है यौगिक कहलाता है | उदाहरण: H2O, CO2, NH3, BrCl2, CH4 इत्यादि |
- किसी तत्व के सबसे छोटे कण परमाणु होते हैं | जैसे – हाइड्रोजन के परमाणु (H), ऑक्सीजन के परमाणु (O), कार्बन के परमाणु (C), मैग्नीशियम के परमाणु (Mg) इत्यादि |
आयन :- आयन एक परमाणु या परमाणुओं का समूह होता है जिस पर कुछ आवेश ( धनात्मक आयन या ऋणात्मक ) अवश्य उपस्थित रहता है ।
- धनावेशित आयन – Na⁺, K⁺ , Ca²+, Al³+
- ऋणावेशित आयन– CI⁻ , S²⁻ , OH⁻ , SO₄²⁻
मोल- संकल्पना :- किसी स्पीशीज ( परमाणु , अणु , आयन अथवा कण ) के एक मोल में मात्राओं की वह संख्या है जो ग्राम में उसके परमाणु अथवा आण्विक द्रव्यमान के बराबर होती है । किसी पदार्थ के एक मोल में कणों की संख्या निश्चित होती है जिसका मान 6.022×10²³ होता है ।
मोलर द्रव्यमान :- मोलर द्रव्यमान किसी भी पदार्थ के एक मोल कणों के द्रव्यमानों का जोड़ होता है ।