माँ वर्णिका कहानी क्लास 10 Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3

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माँ लेखक कहानी परिचय क्लास 10

ईश्वर पेटलीकर गुजराती के लोकप्रिय कथाकार हैं । इनके कथा साहित्य में गुजरात का समय और समाज, नये-पुराने मूल्य, दर्शन और ला आदि रच-पककर एक नई आस्वादकता के साथ उपस्थित होते हैं ।

‘खून की सगाई’ इनकी प्रसिद्ध कहानी है और ‘काला पानी’ इनका लोकप्रिय उपन्यास है । साहित्य के अलावा श्री पेटलीकर सामाजिक-राजनीतिक जीवन में भी सक्रिय रहे हैं। इनकी दर्जनों पुस्तकें पुरस्कृत और बहुप्रशंसित हो चुकी हैं ।

यह कहानी गोपालदास नागर द्वारा संपादित एवं अनूदित कहानी संग्रह ‘माँ’ से साभार संकलित है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 माँ वर्णिका कहानी क्लास 10

प्रश्न 1. मंगु के प्रति मां और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यवहार में जो फर्क है उसे अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- मंगु जन्म से पागल और गूंगी बालिका थी। माँ के लिए कोई कैसी-भी संतान हो उसकी वात्सल्यता फूट ही पड़ती है। मंगु की देख-रेख करनेवाली माँ को अपनी पुत्री एवं ईश्वर से कोई शिकायत नहीं है। ममता की प्रतिमूर्ति माँ स्वयं अपना सुख को भूलकर-पुत्री के लिए समर्पित हो जाती है। उसकी नींद उड़ गई है। रात-दिन अपनी असहाय बच्ची के लिए सोचती रहती है। मंगु के अलावा माँ के लिए तीन संतानें थीं। वे भी अपनी माँ के व्यवहार से अनमने-सा दुःखी रहते हैं।

माँ को ऐसी बात नहीं कि मंगू के अतिरिक्त अन्य संतानों से लगाव नहीं है परन्तु परिस्थिति ऐसी है कि मंगू के बिना उसका जीवन अधूरा है। दो बेटे के साथ-साथ घर में उनकी बहुएँ और पोते-पोतियाँ भी है। एक अन्य पुत्री जो ससुराल चली गई है। छुट्टियों में जब भी पोते-पोतियाँ आते हैं तो आशा लगाते हैं कि उन्हें दादी माँ का भरपूर प्यार मिलेगा किन्तु माँ का समग्र मातृत्व मंगु पर निछावर हो गया है। मातृत्व के स्नेह में खिंची बहुएँ माँ जी के प्रति अन्याय कर बैठती हैं। माँ के अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्य मंगु को पागलखाना में भर्ती कराकर निश्चित हो जाना चाहते हैं किन्तु माँ बराबर इनका विरोध करती रहती हैं।

माँ जी अस्पताल को गौशाला समझती थीं। इसलिए माँ जी घर में ही डॉक्टरों को बुलाकर इलाज कराती है। लोगों के बहुत कहने-सुनने के बाद वह मंगु को अस्पताल में भर्ती कराकर लौटती तो है किन्तु वह भी मंगु की तरह व्यवहार करने लगती है।

प्रश्न 2. माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती? विचार करें?
उत्तर- माँ अस्पताल की व्यवस्था से मन-ही-मन काँप जाती थी। वह लोगों को अस्पताल के लिए गौशालाओं की उपमा देती थीं। मंगु विस्तर पर पाखाना-पेशाब कर देती थी। खिलाने पर ही खाती थी। माँ जी को आत्मविश्वास था कि अस्पताल में डॉक्टर नर्स आदि सभी अपना कोरम पूरा करेंगे। बिस्तर भींगने पर कौन उसके कपड़े और विस्तर बदलेंगे। माँ जी के मन में इन्हीं तरह के विविध प्रश्न उठा करते थे। इन्हीं कारणों से वह मंगु को अस्पताल में भर्ती नहीं कराना चाहती थी।

प्रश्न 3. क्सम के पागलपन में सुधार देख मंग के प्रति माँ परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
कुसुम एक पढ़ने-लिखने वाली लड़की है। उसकी माँ चल बसी है। अचानक वह भी पागल की तरह आचरण करने लगती है। उसे भी टट्टी-पेशाब का ध्यान नहीं रहता है। कुसुम को अस्पतालों में भर्ती की बात सुनकर माँ जी को लगा कि यदि उसकी माँ जीवित होती तो अस्पताल में भर्ती न करने देती। कुसुम अस्पताल में भर्ती कर दी जाती है। डाक्टर, नर्स आदि की देख-रेख में कुसुम धीरे-धीरे ठीक होने लगती है। कुसुम ठीक होने पर घर आती है। सभी उससे मिलने के लिए जाती है। माँ जी उससे विशेष रूप से मिलती है।

कुसुम की बातों से माँ जी का हृदय बदल जाता है। उन्हें भी अस्पताल के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई। गाँव के लोगों ने माँ जी को समझाने लगा कि एक बार अस्पताल में भर्ती कराकर तो देख लें। यदि ठीक नहीं हुई तो मंगु को वापस बुला लेंगी। अंत में माँ जी ने भर्ती कराने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने बड़े पुत्र के पास पत्र भेजा। पत्र लिखते ही बड़ा पुत्र आ गया और माँ जी के साथ मंगू को लेकर अस्पताल गया। अस्पताल में भर्ती कराकर माँ जी लौट आती हैं।

प्रश्न 4. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।
उत्तर- किसी भी कहानी का शीर्षक धुरी होता है जिसके इर्द-गिर्द कहानी घूमती रहती है। किसी भी कहानी के शीर्षक की सफलता औचित्य एवं मुख्य विचार, लघुता, भाव-व्यंजना आदि पर निर्झर है।

आलोच्य कहानी का शीर्षक इस कहानी के मृत्यु कृत्तित्वछाया छितराया हुआ है। समग्र मातृत्व का बोझ सहनेवाली माँ जी इस कहानी का मुख्य पात्र है। जन्म से पागल और गूंगी लड़की की संवा तन-मन से करती है। जन्मदात्री होने का वह अक्षरशः पालन करती है। माँ को अपनी पुत्री और ईश्वर से कोई शिकायत नहीं है। ममता की पूर्तिमूर्ति माँ स्वयं अपना सूख को भूलकर पुत्री के लिए समर्पित हो गई है। घर में बेटी-बेटे-बहू, पोता-पोतियों के साथ उसका संबंध बुरा नहीं है फिर वे माँ जी से खुश नहीं रहते हैं। वे समझते हैं कि माँ जी पागल बेटी के लिए स्वयं पागल हो गई हैं।

पढ़ने-लिखने वाली कुसुम भी जब पागल की तरह आचरण करने लगती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो मन-ही-मन दुःखी हो जाती है। वे सोचती हैं कि मातृहीन कुसुम आज विवश हो गई है। यदि उसकी माँ होती तो शायद अस्पताल में भर्ती नहीं कराने देती है। कुसुम के ठीक होने एवं गाँव के लोगों के कहने-सुनने माँ जी की अंतत: मंगू को अस्पताल में भर्ती करा देती हो किन्तु स्वयं पागल हो जाती है। एक माँ ही अपनी संतान को समझ सकती है। संतान कैसी भी हो किन्तु उसकी ममता में कहीं कोई कमी नहीं आती है। वस्तुतः इन दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।

प्रश्न 5. मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं या संवेदनशील? विचार करें।
उत्तर-
मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है उस अस्पताल के कर्मचारी संवेदनशील हैं। अस्पताल कर्मियों का काम मरीजों के साथ अच्छे से व्यवहार करना और सेवा करना है। किन्तु इस अस्पताल के कर्मी व्यवहार कुशल ही नहीं संवेदनशील भी हैं। अस्पताल में अनेक मरीज आते हैं। उन्हें परिजनों से क्या प्रयोजन ? मंगु उनका मरीज अवश्य है किन्तु माँ जी की वात्सलयता और ममत्व से वे प्रभावित हो जाते हैं। वे माँ जी को आश्वस्त कर घर भेजना चाहते हैं कि उनकी बंटी को कोई कष्ट नहीं होगा। माँ जी के रूदन को देखकर डॉक्टर, मेट्रन और परिचारिकाओं कं हृदय भर गये। वे मन-ही-मन सोचने लगे कि किसी पागल का ऐसा स्वजन अभी तक कोई नहीं आया है। एक अधेड़ परिचारिका उसे अपनी बेटी मानने लगती है। ऐसा व्यवहार कोई कर्मचारी नहीं संवेदनशील ही कर सकता है।

प्रश्न 6. माँ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर- ‘माँ’ कहानी की नायिका अपने घर की मुखिया और सहनशील नारी है। वह सब कुछ ‘ करती है और लोग यदि उसकी आलोचना भी करते हैं तो चुपचाप सुनती है, कुछ कहती नहीं। वह अथक सेविका है। अपनी पागल पुत्री की देखभाल बड़ी लगन से करती है, उसे अपने पास सुलाती, नहलाती-धुलाती, खिलाती और उसका मल मूत्र भी खुशी-खुशी साफ करती है। वह ऊबती नहीं अपितु उसकी जुदाई की आशंका से व्याकुल हो उठती है। वह अपने सभी बच्चों को बहुत प्यार करती है। माँ व्यवहार-कुशल भी है। वह अपनी बहुओं की अपने प्रति शिकायत से परिचित हैं, किंतु परिवार को विखंडित होने से बचाने के लिए कुछ नहीं कहती। उसका व्यवहार सभी लोगों से सौहार्द्रपूर्ण है। माँ अत्यन्त ममतामयी है। ममता के अतिरेक में ही, मंगु की जुदाई सहन नहीं कर पाती और पागल हो जाती है।

प्रश्न 7. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर- गुजराती साहित्य के धनी ईश्वर पेटलीकर एक लोकप्रिय कथाकार हैं। इनके कथा साहित्य में गुजरात का समय और समाज, नये-पुराने मूल्य, दर्शन और कला आदि रच-पचकर एक नई आस्वादकता के साथ उपस्थित होते हैं। प्रस्तुत कहानी में माँ की वात्सलयता और ममत्व का सजीवात्मक चित्रण किया गया है। जन्म से पागल और गूंगी बेटी को माँ जी ने जिस तरह पाल-पोस रही है वह अकथनीय है। अपना समस्त सुख भूलकर बेटी का सुख ही उसका अपना सुख है। ऐसी बातें सोचनेवाली कोई साधारण माँ नहीं होती हो। समग्र मातृत्व उड़लनेवाली माता निश्चय ही आदरणीया होती हैं। माँ जी को मंगु के अतिरिक्त बेटा-बेटी पोता-पोती और बहुएँ हैं। माँ जी को ऐसा नहीं है कि अन्य सदस्यों से लगाव नहीं है किन्तु वह तो मंगु समर्पिता हैं।

अन्य सदस्य माँ जी को दूसरे नजरों से देखते हैं फिर भी ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पागल की अस्पतालों में वह भर्ती नहीं कराना चाहती है। कुसुम के ठीक होने एवं लोगों के कहने-सुनने पर वह मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने जाती है। अस्पताल कर्मियों की संवेदनशीलता वें प्रभावित हो जाती हैं। मंगु को अस्पताल में भर्ती कराकर लौट आती है। माँ जी को आँखों के सामने मंगु का प्रतिबिम्ब झलकने लगता है। रात्रि में उन्हें नींद नहीं आती है। माँ की सिसककियों से बेटे की आँखों में अश्रुधारा बहने लगी। माँ के प्रति बेटे के मन में विविध भाव उठने लगे। माँ को सोता समझकर बेटा भी अपनी पलकें गिरा लीं। माँ जी अचानक,मंगु की तरह आचरण करने लगती है। मंगु की सहकर्मियाँ आज स्वयं मंगु बन गई थीं। वस्तुतः इस कहानी में लेखक माँ की ममता का सजीवात्मक विश्लेषण किया है।

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प्रश्न 1. ‘माँ’ कहानी है ………………..
(क) राजस्थानी
(ख) गुजराती
(ग) तमिल
(घ) उड़िया
उत्तर- (ख) गुजराती

प्रश्न 2. ‘माँ’ कहानी के रचनाकार हैं
(क) साँवर दइया
(ख) श्री निवास
(ग) ईश्वर पेटलीकर
(घ) सुजाता
उत्तर- (ग) ईश्वर पेटलीकर

प्रश्न 3. मंगु जन्म से ही …………. है।
(क) अंधी
(ख) बहरी
(ग) पागल
(घ) गूंगी
उत्तर- (ग) पागल

प्रश्न 4. मां की ………….संतानें थीं।
(क) तीन
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) चार
उत्तर- चार

प्रश्न 5. मंग को अस्पताल ले जाते समय माँ …………..थीं।
(क) प्रसन्न
(ख) उदास
(ग) पागल
(घ) उद्विग्न
उत्तर- (घ) उद्विग्न

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1. ‘माँ’ कहानी के रचयिता ……..है।
उत्तर- ईश्वर पटलीकर

प्रश्न 2. मंगु …………………… से ही पागल है।
उत्तर- जन्म

3. ‘माँ’ …………… कहानी है।
उत्तर- गुजराती

प्रश्न 4. माँ की …………. संतानें हैं।
उत्तर-चार

प्रश्न 5. मंगु गूगी है पर ………….. नहीं है।
उत्तर- बहरी

प्रश्न 6. पराई ……. ही कान छेदती है।
उत्तर- माँ

प्रश्न 7. पुत्र का …………… भी भर आया था।
उत्तर- हृदय

प्रश्न 8. माँ को यह ………. असह्य हो गया।
उत्तर- घाव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मंगु कौन थी?
उत्तर- मंगु जन्म से पागल और गूंगी लड़की थी।

प्रश्न 2. मंगु की देख-रेख कौन और कैसे करता था? ।
उत्तर- मंगु की देख-रेख उसकी माँ बड़े यत्न से करती थी। वह उसे अपने पास सुलाती, खाना खिलाती और मल-मूत्र साफ करती थी।

प्रश्न 3. मंगु की माँ उसे अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती थी?
उत्तर- मंगु की माँ सोचती थी कि अस्पताल में मंगु की देख-भाल ठीक से न होगी। इसलिए उसे भर्ती कराना नहीं चाहती थी।

प्रश्न 4. अस्पताल में भर्ती कराकर आने के बाद मंगु के भाई ने क्या प्रण किया ?
उत्तर- अस्पताल में भर्ती कराकर आने के बाद मंगु के भाई ने प्रण किया कि वह मंगु पालेगा। बहू मल-मूत्र न धोएगी तो वह स्वयं धोएगा।’

प्रश्न 5. मंग को अस्पताल में भर्ती करा कर आने के बादं माँ की क्या दशा हई?
उत्तर- मंगु को अस्पताल में भर्ती कराकर आने के बाद माँ रात भर सिसकती रही और सवेरे चीत्कार सुनकर परिवार एवं पड़ोस के लोग घबड़ाकर वहाँ आए तो सबने देखा कि मंगु की माँ खुद पागल हो गई।

प्रश्न 6. ईश्वर पेटलीकर कौन हैं?
उत्तर- ईश्वर पेटलीकर गुजराती के जाने-माने कथाकार हैं।

प्रश्न 7. ईश्वर पेटलीकर के साहित्य की क्या विशेषता है ?
उत्तर- ईश्वर पेटलीकर के साहित्य में गुजरात का समाज, उसके मूल्य, दर्शन आदि साकार होते हैं।

प्रश्न 8. मंग की माँ उसे अस्पताल में भर्ती कराने को कैसे राजी हुई ?
उत्तर- गाँव की लड़की कुसुम का पागलपन जब अस्पताल जाने से दूर हो गया तो मंगु की माँ मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने को राजी हुई।

प्रश्न 9. मंगु को अस्पताल ले जाने के समय माँ की स्थिति कैसी थी?
उत्तर- अस्पताल ले जाने के पूर्व की रात माँ को नींद नहीं आई। उसे लेकर घर से निकलने लगी तो लगा कि ब्रह्माण्ड का भार उसके ऊपर आ गया। आँखों से सावन-भादो शुरू हो गया।

मां कहानी का सारांश (Maa Kahani)

मंगु को पागलों की अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह लोग जब उसकी माँ को देते तो वह एक ही जवाब देती- माँ होकर सेवा नहीं कर सकती तो अस्पताल वाले क्या करेंगे ?

जन्मजात पागल और गूंगी मंगु को जिस तरह पालती-पोसती सेवा करती उसे देखकर सभी माँ की प्रशंसा करते। मंगु के अलावा माँ को तीन संतानें थी। दो पुत्र और एक पुत्री। बेटी ससुराल चली गई थी और पुत्र पढ़-लिखकर शहरी हो गये थे। उनके बाल-बच्चे थे। जब सभी गाँव आते तो माँ उनको भी प्यार करती किन्तु बहुओं को संतोष नहीं होता। वे जलने लगती। कहती- ‘मंगु को झुठा प्यार-दुलार कर माँ ने ही अधिक पागल बना दिया है।
आदत डाली होती तो पाखाना-पेशाब का तो ख्याल रखती। डाँट से तो पशु भी सीख लेते हैं। बेटी भी ऐसे हीं बाते सुनाती। पुत्र माँ के भाव को समझते थे इसलिए कुछ नहीं कहते थे।

इसी बीच कुसुम अस्पताल गई और दूसरे महीने ही ठीक हो गई। फिर भी डॉक्टरों के कहने पर एक महिना और रही। गाँव आई तो सभी देखने दौड़े। अब लोग कहने लगे- ‘माँ जी, एक बार अस्पताल में मंगु को भर्ती करा के देखो जरूर अच्छी हो जाएगी‘ इस बार माँ ने विरोध नहीं किया। बड़े बेटे को चिट्ठी भेजवाई। लकिन रात की नींद उड़ गई, मन का चैन छिन गया। कैसे रहेगी मंगु अस्पताल में ? कुछ भी तो सऊर नहीं इसे। चिट्ठी पाकर बड़ा बेटा आ गया। मजिस्ट्रेट से जरूरी कागज तैयार करवाये।

माँ को लगा कि बेटा भी मंगु से छुटकारा चाहता है जो जल्दी-जल्दी करवा रहा है। आखिर जाने का दिन आ गया। उस रात माँ को नींद नही आई। जब मंगु को लेकर घर से बाहर निकलने लगी तो जैसे ब्रह्माण्ड का बोझ उस पर आ गया।

माँ भारी कदमों से अस्पताल में दाखिल हुई। मुलाकात का समय था। एक पागल अपने पति से लिपट गई । बोली- ई भूतनियाँ मुझे अच्छे कपड़े नहीं देतीं उसकी परिचारिका ने हँसकर कहा- ‘खा लो, मैं सब दुँगी‘ माँ को विश्वास हो गया कि ये सब लोग दयालु हैं।

डॉक्टर और मेट्रन आ गई। मंगु का कागज देखा। बेटे ने कहा- ‘मेरी मंगु का ठीक से ख्याल रखिएगा।‘ मेट्रन ने कहा- आपको चिंता करने की जरूरत नहीं। बीच में ही माँ ने कहा- बहन ! यह एकदम पागल है, कोई न खिलाए तो खाती नहीं…..टट्टी की भी सुध नहीं……रोशनी में उसे नींद नहीं आती। कहते-कहते माँ रो पड़ी।

सभी लोग उसकी रूलाई से संजीदा हो गए। मेट्रन ने कहा- धीरज रखें। यह भी कुसुम की तरह ठीक हो जाएगी। यहाँ रात को चार-पाँच बार बिछावन की जाँच होती है। जो सोते नहीं उन्हें दवा देकर सुलाया जाता है। जो खुद नहीं खाते उन्हें मुँह में खिलाया जाता है। माँ की बेकली के आगे मेट्रन की शक्ति लुप्त हो गई।

मंगु को छोड़ माँ-बेटे जब बाहर आए तो दोनों के चेहरे पर शोक के बादल थे। रास्ते भर माँ रोती रही। रात भर माँ यही सोचती रही कि मंगु क्या कर रही होगी ? इतनी ठंड में किसी ने उसे कुछ ओढ़ाया होगा या नहीं ? मंगु के बिना आज माँ का विछावन सुना लगा। बाहर बेटे को भी नींद नहीं आ रही थी। सोच रहा था कि मैं मंगु को अच्छी तरह पालूँगा।

सुबह जब चक्की की आवाज शुरू हुआ तो एक चिख सुनाई पड़ी-‘दौड़ो रे दौड़ो ! मेरे मंगु को मार डाला।‘ बेटा चारपाई से उछल पड़ा। माँ मंगु के श्रेणी में मिल गई थी।

About the author

My name is Najir Hussain, I am from West Champaran, a state of India and a district of Bihar, I am a digital marketer and coaching teacher. I have also done B.Com. I have been working in the field of digital marketing and Teaching since 2022

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